एक बेचारा पति और उसकी खतरनाक बीबी
किस्मत फूटी है भाई मेरी, नौकरी वाली है लुगाई मेरी
मैं बैठे बैठे खाता हूँ, वो दिन-भर काम पे होती हैं
मैं दिन-भर whatsapp चलाता हूँ, वो आफिस में busy होती हैं
वो जब भी सोने जाती है, मैं उसके पैर दबाता हूँ
मैं जब भी मना कर देता हूँ, वो कर देती है कुटाई मेरी
किस्मत फूटी है भाई मेरी, नौकरी वाली है लुगाई मेरी
मैं बरतन माँजने जाता हूँ, वो जाकर के नहा लेती हैं
मैं बनाकर खाना लाता हूँ, वो आकर के खा लेती है
वो Sunday को दिन-भर ले-ले कर खर्राटे सोती है और काम के time उसकी, उसकी मम्मी से बातें होती है
कभी-कभी मैं सोचता हूँ, क्यूँ हुई उससे सगाई मेरी
किस्मत फूटी है भाई मेरी, नौकरी वाली है लुगाई मेरी
वो और सहेलियाँ उसकी, किट्टी करती रहती हैं
कभी पिज्जा, कभी बर्गर , महफ़िल चलती रहती हैं
मैं कर-कर के घर के काम, बहुत ज़्यादा थक जाता हूँ
अपनी इस मजबूरी को, किसी से न कह पाता हूँ
रौब दिखाकर कहती है, धोनी होगी सलवार मेरी
किस्मत फूटी है भाई मेरी, नौकरी वाली है लुगाई मेरी
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