नफरत
उसकी नफरत का तरीका तो देखो यारो
मुझसे कहती थी मुझे नफ़रत है तुमसे
और ये कहके
सारी रात रोती थी
गवाह है उसके तकिये पे पडे धब्बे इस बात के
गवाह है उसका रूमाल
जिसमें समाया है उसके नमकीन आंसूओं का स्वाद जब भी कोई कहता था मेरे बारे में गलत
तो उसके कान सुनते नहीं थे
इक लफ़्ज़ भी मेरे खिलाफ़
और वो मुझसे कहती थी मुझे नफ़रत है तुमसे
लोग जब भी उडाते थे मजाक मेरा
भगा देती थी सबको
मेरी ढा़ल बनकर
और वो मुझसे कहती थी मुझे नफ़रत है तुमसे
जब भी होती थी सामने वो मेरे
करती थी दिखावा मुझसे नफ़रत करने का
जब हुआ इक 'accident' मेरा
उठाके मुझे रोते-रोते ले गयी थी वो hospital में
सायें की तरह रही थी मेरे पास
जब तक जख्म मेरे भर नहीं गये
और पूछने पर मेरे 'क्या तुमको प्यार है मुझसे?
तो उसने यही कहा था
'मुझे नफ़रत है तुमसे'
क्यूं कहती थी वो ऐसा
ये बात मुझे आज परेशान नहीं करती
नींद में मेरी, उसके लब आज भी कहते नहीं दिखते कि
मुझे नफ़रत है तुमसे
हो भी क्यूं ऐसा
क्यूं की
एक बार सिसकियां भरते हुए
आँखों में आसमां समेटे हुए
बाहों में बाहे डालके
अकेले में ले जा के कहा था उसने
कहाँ छुपाऊ पागल !!!
मुझे बहुत प्यार है तुमसे
तुम आँखों में ही क्यूं समझ नहीं पाते
अब थक गयी हूँ छुपाते-छुपाते
अब नहीं कह सकती
कहाँ तक कहूँ मैं
कि
मुझे नफ़रत है तुमसे
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